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अजब गजब: 2028 तक बच्चे पैदा करने के लिए मां की जरूरत नहीं रहेगी!

इंसान अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए शादी करते हैं और फिर एक महिला और पुरुष मिलकर अपने ही जैसी अगली पीढ़ी को जन्म देते हैं. बच्चे को जन्म देने के लिए मां का होना बहुत ही जरूरी होता है. मां के बिना बच्चे की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. लेकिन यह अब तक की कहानी है. वैज्ञानिकों का दावा है कि 2028 तक बच्चे बैदा करने के लिए मां की आवश्यकता नहीं रहा जाएगी. उनका कहना है कि 2008 में बच्चों को पूरी तरह से लैब में तैयार किया जा सकेगा.

जापान के वैज्ञानिक स्पर्म और अंडे को लैब में विकसित करने के काफी करीब पहुंच गए हैं. जबकि प्राकृतिक तौर पर एक महिला के अंडकोश से हर माह एक अंडा निकलकर गर्भाशय में आता है और पुरुष के वीर्य में शामिल स्पर्म से वह अंडा निषेचित (Fertilize) होता है. इसके बाद अंडा, धीरे-धीरे एंब्रेयो में बदलता है और 9 माह के सफर में वह विकसित होकर पैदा होता है. लेकिन अब वैज्ञानिक स्पर्म और अंडा भी लैब में ही बनाने के करीब हैं. लैब में बने अंडे को लैब में ही बने स्पर्म से फर्टिलाइज करके एक आर्टिफिशियल वॉम्ब (कृत्रिम गर्भ) में डेवलप किया जाएगा. इस तरह से कुछ ही महीनों में वैज्ञानिक पूरी तरह से लैब में ही इंसान पैदा करने में सफल हो जाएंगे.

जापान में क्यूशू विश्वविद्यालय के प्रोफेशर कात्सुहिको हयाशी ने चूहों पर इसे सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया है. उनका मानना है कि अगले 5 साल में वह इस तकनीक से इंसान भी पैदा कर पाएंगे. लेकिन इस रिसर्च को लेकर नैतिक चुनौतियां और चिंताएं भी हैं. अगर ऐसा संभव हो गया तो फिर कोई भी किसी भी उम्र में बच्चे पैदा करवा सकता है. इसके अलावा माता-पिता जीन एडिटिंग के जरिए अपनी संतानों में कुछ खास तरह के गुण डिजाइन करने की मांग कर सकते हैं. इससे एक पर्फेक्ट चाइलड की धारणा का जन्म होगा, जो प्राकृतिक रूप से संभव नहीं है.

बता दें कि प्रोफेसर हयासी और उनकी टीम ने दो मेल बायोलॉजिकल पैरेंट्स की स्किन के सेल से उनके 7 बच्चे तैयार किए. इसके लिए उन्होंने मेल माउस के सेल से अंडा तैयार किया और फिर उसे फर्टिलाइज किया.

प्रयोगशाला में कस्टम-मेड ह्यूमन स्पर्म (Custom-made human sperm) और अंडे तैयार करने की तकनीक को विट्रो गैमेटोजेनेसिस यानी IVG (vitro gametogenesis) कहते हैं. इसके लिए व्यक्ति की त्वचा या रक्त से कोशिकाएं लेकर उन्हें रिप्रोग्राम किया जाता है और प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (iPS cells) तैयार किया जाता है. थ्योरी के अनुसार यह सेल शरीर का कोई भी अन्य सेल बन सकते हैं फिर चाहे वह अंडे और स्पर्म ही क्यों न हो.

वैज्ञानिक अब तक ह्यूमन एग और स्पर्म बनाने में सफल हो चुके हैं. लेकिन उसे डेवलप करके एब्रेयो बनाने में सफलता नहीं मिल पाई है. डॉ. हयाशी का मानना है कि अगले 5 साल में अंडे मानव से अंडे जैसे सेल बना लिए जाएंगे. उनका कहना है कि इसे क्लिनिकल तौर पर सुरक्षित बनाने में आगे 10-20 साल और लगेंगे.