“56 साल बाद हल्द्वानी नगर निगम में ओबीसी के लिए अवसर, सियासी हलचल तेज”

उत्तराखंड के हल्द्वानी नगर निगम में 56 वर्षों बाद मेयर पद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित किया गया है। इससे पहले, 15 पालिकाध्यक्षों और मेयरों में से केवल एक ही ओबीसी समुदाय से थे, जबकि सात-सात ब्राह्मण और ठाकुर समुदायों से थे।

राजनीतिक दलों की रणनीति:

  • भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): भाजपा से मेयर पद के लिए 25 नेताओं ने दावेदारी की थी, जिनमें से ओबीसी वर्ग से केवल महेन्द्र कश्यप ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है। इसके अलावा, मजहर नईम नवाब, कंचन कश्यप, नन्हें कश्यप, विनोद जायसवाल, और विरेन्द्र जायसवाल के नाम भी चर्चा में हैं।

नेताओं की प्रतिक्रियाएं:

  • सुमित हृदयेश (विधायक, हल्द्वानी): उन्होंने कहा कि ओबीसी सीट आने पर थोड़ा आश्चर्य है, लेकिन कांग्रेस पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ेगी और जीत दर्ज करेगी।
  • जोगेन्द्र सिंह रौतेला (निर्वतमान मेयर, हल्द्वानी): उन्होंने कहा कि नगर निगम चुनाव में सरकार ने जो आरक्षण लागू किया है, वह उचित है और समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलना चाहिए।

चुनौतियां और संभावनाएं:

ओबीसी आरक्षण के चलते दोनों प्रमुख दलों को अपने उम्मीदवारों का चयन सोच-समझकर करना होगा, ताकि वे समुदाय की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकें और आगामी चुनावों में सफलता प्राप्त कर सकें।

इस ऐतिहासिक परिवर्तन के साथ, हल्द्वानी नगर निगम की राजनीति में नए समीकरण बनेंगे, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।