“पहाड़-मैदान के नाम पर नफरत फैलाने वालों को रोके सरकार – मैदानी मंच”

देहरादून। उत्तराखंड में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर भ्रामक और अभद्र टिप्पणियां करने तथा पहाड़-मैदान के नाम पर समाज में विभाजन की रेखा खींचने के विरोध में मैदानी मंच ने शुक्रवार को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा।

मंच के कार्यकर्ताओं ने सुबह 11 बजे देहरादून कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर एकत्र होकर “पहाड़-मैदान नहीं चलेगा-नहीं चलेगा” और “सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने वालों पर मुकदमा करो” जैसे नारे लगाए। इसके बाद सभी लोग जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

सख्त कार्रवाई की मांग

मंच के संस्थापक चौधरी लाल सिंह गुर्जर ने कहा कि उत्तराखंड में कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयानबाजी कर प्रदेश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसे तत्वों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई कर उन्हें जेल भेजा जाए, ताकि प्रदेश में सौहार्द और शांति बनी रहे।

संस्थापक योगेन्द्र चौहान ने कहा कि मैदान में व्यापार करने वाले कुछ व्यवसायियों को टारगेट कर उनके प्रतिष्ठानों पर जाकर डराने-धमकाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की कि इन असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि राज्य का सद्भाव बना रहे।

प्रदेश के विकास में सहयोग की प्रतिबद्धता

मंच के वरिष्ठ सदस्य सुशील सैनी ने कहा कि उत्तराखंड के लोग हमेशा प्रदेश के विकास में योगदान देते आए हैं और आगे भी सहयोग करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि “हमने कभी किसी को गाली-गलौज या हिंसा की धमकी नहीं दी, लेकिन कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए समाज में वैमनस्य फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए।”

बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भागीदारी

इस विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम में मंच के संस्थापक सुभाष चौहान, रीना गोयल, सत्यपाल सिंह, नीतू गुरुंग, कल्याण सिंह, दीपक सेलवान, संजय अग्रवाल, सुवोध कुमार, अमित वर्मा, सलमान अंसारी, राकेश तोमर, जाहिद अहमद सहित कई अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

मैदानी मंच ने प्रशासन से मांग की है कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के भड़काऊ बयानों, सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफरत और व्यापारियों को धमकाने की घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि उत्तराखंड की शांतिपूर्ण संस्कृति और सामाजिक सौहार्द बना रहे।

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