देहरादून, 31 मार्च: देहरादून के मियावाला गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर संपत्ति हड़पने की कोशिश की गई। पीड़ितों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) देहरादून को प्रार्थनापत्र देकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
मियावाला निवासी सज्जन सिंह, सुंदरलाल, इंद्रलाल और राधेश्याम ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनके पिता रामसहाय का देहांत 3 दिसंबर 1988 को हुआ था, और उनका अंतिम संस्कार 4 दिसंबर 1988 को हरिद्वार में हिंदू रीति-रिवाज से किया गया था। उनके पिता ने अपने जीवनकाल में ही 7 सितंबर 1988 को एक वसीयत तैयार करवाई थी, जिसे उप-रजिस्ट्रार, देहरादून में पंजीकृत कराया गया था।
लेकिन, उनके भाई जगनलाल और उनके पुत्र मनमोहन ने संपत्ति पर कब्जा करने के इरादे से 19 जून 1988 को शिवाजी सेवा समिति (शमशान विभाग, लखीबाग, देहरादून) से एक फर्जी रसीद बनवाई और फिर 2 फरवरी 2013 को ग्राम पंचायत चक तुनवाला से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल कर लिया।
नगर निगम ने की फर्जी प्रमाण पत्र की पुष्टि
जांच के बाद, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी एवं रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु), नगर निगम देहरादून डॉ. अविनाश खन्ना ने इस फर्जीवाड़े की पुष्टि की और 15 अक्टूबर 2024 को फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही, संबंधित पुलिस अधिकारियों को धोखाधड़ी के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए।
पीड़ितों की मांग
पीड़ितों ने SSP देहरादून से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- जगनलाल और मनमोहन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।
- मामले की गहन जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- पिता रामसहाय का वास्तविक मृत्यु प्रमाण पत्र शीघ्र जारी किया जाए।
- भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े रोकने के लिए एक सख्त उदाहरण पेश किया जाए।
क्या बोले अधिकारी?
नगर निगम की रिपोर्ट के बाद, पुलिस प्रशासन मामले की जांच में जुट गया है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।