प्रयागराज: प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ के बाद लापता हुए एक व्यक्ति को मृत मानकर उनका अंतिम संस्कार और श्राद्ध किया गया, लेकिन तेरहवीं के दिन जब वह सशरीर घर लौटे तो सब हैरान रह गए। यह घटना प्रयागराज की है, जहां खूंटी गुरु नामक व्यक्ति 29 जनवरी को महाकुंभ की भगदड़ में लापता हो गए थे।
कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम?
खूंटी गुरु, जो अकेले रहते हैं, 28 जनवरी की शाम मौनी अमावस्या पर्व पर स्नान के लिए संगम गए थे। अगले दिन 29 जनवरी को संगम नोज पर भगदड़ मच गई और इसके बाद से ही वे लापता थे। उनके परिचितों और पड़ोसियों ने हर जगह उनकी तलाश की, लेकिन जब कोई जानकारी नहीं मिली, तो अंततः उन्हें मृत मान लिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता अभय अवस्थी ने बताया कि उनके सम्मान में 11 फरवरी को उनकी आत्मा की शांति के लिए एक पूजा और प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इसके बाद उनके तेरहवीं भोज की तैयारी की जा रही थी, जिसमें ब्राह्मणों और स्थानीय लोगों को भोजन कराने की योजना थी।
तेरहवीं में हुआ चमत्कार
तेरहवीं के दिन जब सभी लोग भोजन की तैयारी कर रहे थे, तभी खूंटी गुरु अचानक ई-रिक्शा से पहुंचे और मुस्कुराते हुए अंदर आए। उन्हें देखकर वहां मौजूद सभी लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जो माहौल कुछ देर पहले तक शोक में डूबा था, वह अचानक उत्सव में बदल गया।
एक पड़ोसी ने बताया कि उनकी खुशी में तेरहवीं के भोज में बनाई गई पूरी-सब्जी और मिठाई स्थानीय लोगों में बांटी गई।
खूंटी गुरु ने बताया लापता होने का राज
जब उनसे इतने दिनों तक लापता रहने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने साधुओं के एक समूह के साथ चिलम चढ़ा ली थी, जिसके बाद वे गहरी नींद में सो गए। जागने के बाद वे नागा साधुओं के शिविर में चले गए और वहां भंडारे में सेवा करने लगे। इसी कारण वे इतने दिनों तक घर नहीं लौटे।
सामाजिक कार्यकर्ता अभय अवस्थी ने बताया कि खूंटी गुरु अब सकुशल लौट आए हैं और किसी को भी उनसे कोई शिकायत नहीं है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
खूंटी गुरु के लौटने से मोहल्ले में खुशी की लहर दौड़ गई। पड़ोसियों ने कहा कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। पहले उन्हें खो देने का दुख था, लेकिन अब वे वापस आ गए हैं, तो यह किसी त्यौहार से कम नहीं लग रहा।
यह घटना साबित करती है कि कभी-कभी जीवन हमें अप्रत्याशित चौंकाने वाले पल देता है, जिनका अनुभव केवल भाग्यशाली लोग ही कर पाते हैं।