उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत अब प्रदेश में रहने वाले बाहरी जोड़ों को भी लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यदि कोई उत्तराखंड का जोड़ा प्रदेश के बाहर भी लिव-इन में रह रहा है, तो उसे अपने स्थानीय पते के आधार पर पंजीकरण कराना होगा।
कानूनी प्रावधान और दंड
- पंजीकरण न कराने या गलत जानकारी देने पर ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- तीन महीने तक की सजा का भी प्रावधान है।
- UCC एक्ट के सेक्शन 378 में यह नियम स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
21 वर्ष से कम उम्र पर होगी अभिभावक को सूचना
लिव-इन में रहने के लिए दोनों पक्षों की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए। यदि किसी की उम्र कम पाई जाती है, तो निबंधक माता-पिता या अभिभावक को सूचित करेगा। साथ ही, गलत जानकारी मिलने पर स्थानीय थाना प्रभारी को भी जानकारी दी जाएगी।
यह नियम लिव-इन संबंधों को संगठित और कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए बनाए गए हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और समाज में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।