उत्तराखंड में काली नदी पर तटबंध निर्माण को लेकर विवाद: नेपाल की ओर से पथराव, भारतीय जेसीबी ऑपरेटर को बनाया बंदी

नई दिल्ली: भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली काली नदी में तटबंध निर्माण को लेकर तनाव एक बार फिर गहरा गया है। उत्तराखंड के धारचूला क्षेत्र में नेपाल की ओर से लगातार हो रही पत्थरबाजी और विरोध के चलते भारतीय मजदूरों को निर्माण कार्य रोकना पड़ा। रविवार को नेपाल की ओर से पथराव की घटना के बाद एक जेसीबी ऑपरेटर को तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया।

पथराव और बंधक बनाने की घटना:
काली नदी पर सिंचाई विभाग द्वारा बनाए जा रहे तटबंध पर नेपाल की ओर से आए लोगों ने मजदूरों पर पथराव किया और उन्हें मौके से भगा दिया। यही नहीं, पथराव के दौरान नेपाल के लोगों ने एक भारतीय जेसीबी ऑपरेटर को अगवा कर लिया। तीन घंटे की मशक्कत के बाद भारतीय और नेपाली अधिकारियों के बीच वार्ता के बाद ऑपरेटर को रिहा किया गया।

विवाद का कारण:
काली नदी पर तटबंध निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। नेपाल का कहना है कि तटबंध बनने से नदी का प्रवाह बदल जाएगा, जिससे उनकी भूमि पर कटाव का खतरा बढ़ जाएगा। वहीं, भारत का पक्ष है कि तटबंध निर्माण से दोनों देशों को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी और इसे संतुलित तरीके से पूरा किया जाएगा।

नेपाल की ओर से विरोध और पथराव:
नेपाल ने 2013 में अपने क्षेत्र में काली नदी के किनारे मजबूत तटबंध बना लिए थे, जिसका भारत ने विरोध नहीं किया था। लेकिन भारत के निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से नेपाल की ओर से अब तक लगभग एक दर्जन बार पत्थरबाजी की घटनाएं हो चुकी हैं।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं:

  • मई 2023: पिथौरागढ़ के घाटखोला गांव में काम कर रही मशीनों और मजदूरों पर नेपाल के दो युवकों ने पत्थरबाजी की। मजदूरों को जान बचाकर भागना पड़ा, और एक जेसीबी का शीशा टूट गया।
  • दिसंबर 2022: नेपाल की ओर से पत्थरबाजी के कारण मजदूरों को काम रोकना पड़ा। इसके बाद भारत की ओर से व्यापारियों ने विरोध स्वरूप काली नदी पर बने सस्पेंशन पुल को बंद कर दिया था।

अधिकारियों की बैठकें:
पिछले विवादों के बाद भारतीय और नेपाली अधिकारियों के बीच दो बार बैठकें हो चुकी हैं। नेपाल के अधिकारियों ने पत्थरबाजी रोकने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

भारत के लिए तटबंध क्यों जरूरी:
काली नदी के तेज प्रवाह के कारण हर साल भारी बारिश में भारतीय भूमि का बड़ा हिस्सा नदी में समा जाता है। तटबंध निर्माण से बाढ़ और भूमि कटाव को रोकने में मदद मिलेगी।

स्थिति गंभीर, समाधान की जरूरत:
पथराव की ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर संवाद बढ़ने की उम्मीद है। दोनों देशों के अधिकारियों ने घटना स्थल का दौरा किया और विवाद को सुलझाने की दिशा में चर्चा की।

स्थानीय लोगों में आक्रोश:
नेपाल की ओर से बार-बार पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है। उन्होंने सरकार से जल्द समाधान की मांग की है ताकि तटबंध निर्माण का कार्य बिना बाधा पूरा हो सके और क्षेत्र बाढ़ के खतरे से सुरक्षित हो।